Madhu varma

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लेखनी कविता -लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं - ग़ालिब

लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं / ग़ालिब


लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज

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